समाज कल्याण मंत्री ने अखिलेश यादव पर किया पलटवार: बोले- भाजपा का कार्यकर्ता खुद को सेवक मानता है, हमको राजा बनने के लिए नहीं चुना गया : गोण्डा

समाज कल्याण मंत्री  ने अखिलेश यादव पर किया पलटवार: बोले- भाजपा का कार्यकर्ता खुद को सेवक मानता है, हमको राजा बनने के लिए नहीं चुना गया : गोण्डा 



■ असीम अरुण ने अखिलेश यादव पर किया पलटवार: बोले- भाजपा का कार्यकर्ता खुद को सेवक मानता है, हमको राजा बनने के लिए नहीं चुना गया


■ गोंडा में कार्यक्रम का शुभारंभ करते समाज कल्याण मंत्री असीम अरुण।


समाज कल्याण मंत्री असीम अरुण अमृत काल में सहभागिता कार्यक्रम में शामिल होने शुक्रवार को गोंडा पहुंचे। इस दौरान अखिलेश यादव पर पलटवार करते हुए कहा कि अगर कोई कह रहा है कि भाजपा हवा में उड़ जाएगी तो ये उसकी कोई कल्पना है। आप देख रहे हैं भारतीय जनता पार्टी का हर चुनाव के बाद जनता का समर्थन मतदाता का सपोर्ट बढ़ता जा रहा है। इसके दो कारण है एक भाजपा सबको साथ में लेकर चलती है और सभी के विकास की चिंता करती है। जिसके कारण भाजपा का वोट बैंक और सीटें बढ़ रही है। इसके बारे में अगर कोई कह रहा है कि हवा में उड़ जाएगी तो ये कोई कल्पना है।


अखिलेश यादव द्वारा ब्रजेश पाठक को सर्वेंट डिप्टी सीएम कहे जाने और ब्रजेश पाठक के नाम के आगे सर्वेंट लगाए जाने पर कहा कि भाजपा का हर कार्यकर्ता अपने आपको सेवक और सर्वेंट मान कर चलता है। भाजपा जो अन्य पार्टियों की रीति-नीति है, शब्दावली है शासन करना या राजा होना ये नहीं है। हम सब लोग सेवक हैं सर्वेंट है और हमारा काम यही है कि किस प्रकार राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान दें। हमको राजा बनने के लिए नहीं चुना गया है। हमको सेवा करने के लिए चुना गया है इस संकल्प के साथ हम काम कर रहे है। भरण पोषण कल्याण नियमावली का हो रहा परीक्षण भरण पोषण और कल्याण नियमावली संशोधन पर कहा कि अभी परीक्षण किया जा रहा है। इसीलिए कैबिनेट से पास नहीं हुआ है। बहुत जल्द ही कैबिनेट से पास होगी 2 सप्ताह के अंदर इसका अध्ययन और विधि परीक्षण हो जाएगा उसके बाद कैबिनेट में रखा जाएगा। पूरे अध्ययन के साथ में और इसको कैबिनेट मंत्रिमंडल से इसको पास कराया जाएगा। जो नियमावाली है उसमें मूल परिवर्तन इस लिए करने की आवश्यकता महसूस हो रही है। क्योंकि एसडीएम की अध्यक्षता में एक ट्रिब्युनल बनाया गया है। हर तहसील में जिसका काम है वरिष्ठ नागरिकों की सुरक्षा करना और उनको अधिकार दिलाना हम लोग इसमें पहला प्रस्ताव प्रस्तावित कर रहे हैं की अगर एसडीएम का आदेश नहीं मानते है, उनके घर में रहने वाले बच्चे तो उनको बाहर कौन निकलेगा। ऐसा प्रावधान उसमें नहीं था जो कि पुलिस के लिए प्रावधान किया जा रहा है।

दूसरा ऐसे अपील का भी प्रावधान किया जा रहा है जो उनके बच्चे कर सकते है। तीसरा कोई ऐसा प्रतीकात्मक बातें है की कोई अगर ऐसा वरिष्ठ नागरिक है जिनकी संपत्ति उनके पूर्वजों से मिली है तो क्या उससे वो अपने बच्चों को बेदखल कर सकते है या नहीं कर सकते हैं। इसका थोड़ा विधि परीक्षण किया जा रहा है। उसके बाद जो कानून संगत राय होगी आगे के लिए आगे के लिए रास्ता होगा उसके अनुसार कैबिनेट मंत्रिमंडल इसको पास करेगा। वरिष्ठ नागरिकों को जो अधिकार मिलना चाहिए और जो सुरक्षा होनी चाहिए और बढ़ाने में ये परिवर्तन हमको करना पड़ रहा है।

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