आरटीओ विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से फर्जी तरीके से बुलेट गाड़ी को दूसरे के नाम कराने का लगा आरोप : गोण्डा

आरटीओ विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से फर्जी तरीके से बुलेट गाड़ी को दूसरे के नाम कराने का लगा आरोप : गोण्डा

दबंगों द्वारा पीड़ित को जेल भिजवाने के बाद जिम्मेदार       लोगों की मिलीभगत से हुआ हैरत अंगेज कारनामा।

विकास कुमार सोनी, संवाददाता

गोंडा।  जिले के परसपुर थाना क्षेत्र में एक हैरतअंगेज मामला सामने आया है, जहाँ दबंगों द्वारा पीड़ित को फर्जी मुकदमे में फंसाकर जेल भेजवाने के बाद पीड़ित के बु्लेट मोटरसाइकिल गाड़ी को आरटीओ विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत के चलते फर्जी तरीके से अपने नाम कराने का आरोप लगाया गया है। 

आपको बता दें कि पीड़ित विपिन शुक्ला पुत्र उमाशंकर शुक्ला निवासी साकीपुर शुक्ल पुरवा ने जिलाधिकारी व अन्य अधिकारियों को प्रार्थना पत्र देकर कार्यवाही करने की मांग की है । पीड़ित परसपुर थाना के द्वारा दर्ज मुकदमे में जेल में बंद था। पीड़ित ने आरोप लगाया है कि पूर्व में रहे थाना परसपुर प्रभारी संदीप सिंह के द्वारा पीड़ित को मारा-पीटा और कई सादे पेपर पर व दस रुपए के स्टाम्प पर और सेल लेटर पर जबरन हस्ताक्षर कराया गया और पीड़ित के नाम रजिस्टर्ड बुलेट मोटरसाइकिल को UP43 ए एस 4147 नंबर को दिनांक 20/02/2022 को जबरन बेंचीनामा लिख लिया और पीड़ित को फर्जी मुकदमे में जेल भेज दिया। पीड़ित ने जब यह खबर अपने घर वालों को बताई तो घर वाले हैरान हो गए और मोटर साइकिल छुड़ाने के लिए ऑनलाइन आईजीआरएस प्रार्थना पत्र दिया। जिसकी पैरवी करने घर वाले थाना परसपुर गए तो थाना प्रभारी ने बताया कि बुलेट मोटरसाइकिल को मनोज पांडे पुत्र आत्माराम पांडे निवासी चरौंहा को मोटरसाइकिल बुलेट को उसे दे दिया है। पीड़ित के घर वालों ने पीड़ित के नाम रजिस्टर्ड गाड़ी के पेपर को थाना प्रभारी को दिया और कहा कि साहब हमारी बुलेट मोटरसाइकिल को मेरे बिना बेचें ही दूसरे के नाम कैसे हो गई तो थाना प्रभारी ने कहा कि भाग जाओ यहां से नहीं तो तुम सबको पकड़ कर अभी उसी तरह मुकदमे में अंदर कर देंगें। पीड़ित जब गोंडा आरटीओ दफ्तर में जानकारी के लिए पहुंचा तो वहां से पता चला कि इस गाड़ी को 23/02/2022 को दूसरे के नाम ट्रांसफर किया गया है, जिसमें पीड़ित के फर्जी हस्ताक्षर भी हैं। जब कि पीड़ित अपना नाम विपिन शुक्ला लिखता है। विदित हो कि वाहन स्वामी के बिना आरटीओ दफ्तर गए गाड़ी ट्रांसफर नहीं की जा सकती है। पीड़ित ने बताया कि पुलिस व आरटीओ विभाग के अधिकारियों के मिलीभगत से फर्जी तरीके से गाड़ी को किसी दूसरे के नाम बुलेट गाड़ी को ट्रांसफर किया गया है। इस मामले में पीड़ित न्याय पाने के लिए अधिकारियों के दफ्तर का चक्कर लगा रहा है। इस संबंध में एआरटीओ बबीता वर्मा ने कहा कि शिकायत मिली है जांच कराई जायेगी।

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