समाजवादी पार्टी को झटका पूर्व राज्य मंत्री के साथ पुत्र और बहू भारतीय जनता पार्टी में हुए शामिल : गोण्डा

समाजवादी पार्टी को झटका पूर्व राज्य मंत्री के साथ पुत्र और बहू भारतीय जनता पार्टी में हुए शामिल : गोण्डा

■ और टूट गया 30 साल पुराना नाता: पूर्व राज्यमंत्री रामबहादुर सिंह बीजेपी में शामिल।

(बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह के साथ पूर्व मंत्री रामबहादुर सिंह) 

गोण्डा : वजीरगंज क्षेत्र में अपने राजनीतिक रसूख से दबदबा कायम रखकर पिछले 25 साल से ब्लाक प्रमुख पद पर काबिज होते आ रहे पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के बेहद करीबी माने जाने वाले पूर्व राज्यमंत्री रामबहादुर सिंह ने अपने दत्तक पुत्र पंकज सिंह व पुत्रवधू ब्लाक प्रमुख माण्डवी सिंह के साथ बीजेपी में शामिल होकर 30 साल पुराना नाता तोड़ दिया।

रामबहादुर सिंह ने राजनीति में दस्तक दी तो छेत्र के बड़े-बड़े सूरमा हाशिये पर पहुंच गए। वर्ष 1995 में वे वजीरगंज के ब्लाक प्रमुख चुने गए। रामबहादुर की लोकप्रियता और राजनीतिक रसूख बढ़ा तो इलाके में उनका दबदबा कायम हुआ। वर्ष 2000 के चुनाव में उनकी पत्नी राधिका देवी ब्लाक प्रमुख निर्वाचित घोषित की गयीं। इसके बाद रामबहादुर ने राजनीति की रपटीली राह पर कदम बढ़ाए तो उनका शुमार राजनीतिक क्षत्रपों में होने लगा। अगले चुनाव में उन्होंने अपने ट्रैक्टर चालक तिलकराम को ब्लाक प्रमुख बनाकर यह साबित कर दिया कि वजीरगंज इलाके के सिकंदर वही हैं। इसके बाद रामबहादुर सिंह ने अपने ड्राइवर की पत्नी संगीता सोनी तथा वर्ष 2015-16 के चुनाव में अपनी पुत्रवधू माण्डवी सिंह को ब्लाक प्रमुख बनवाकर अपनी सल्तनत कायम रखी। रामबहादुर ने ब्लाक प्रमुखी से लेकर राज्यमंत्री तक का सफर यूं ही नहीं तय किया, बल्कि उन्होंने समाजवादी पार्टी में रहकर सत्ता और रसूख से अपना दबदबा बनाया। कद्दावर राजनीतिक विरोधी न होने का भी उन्हें फायदा मिला, जिससे वे लगातार ‘ब्लाक की सत्ता’ पर काबिज होते रहे।
बताते चलें कि मुलायम सिंह यादव का करीबी होने के कारण रामबहादुर सिंह को वर्ष 2003 में निर्माण एवं सहकारी संघ का अध्यक्ष बनाकर राज्यमंत्री का दर्जा दिया गया। इससे उनके राजनीतिक रूतबे में और इजाफा हुआ तथा वे किंगमेकर बनकर उभरे। वजीरगंज ब्लॉक क्षेत्र की तमाम ग्राम पंचायतों का चुनावी गणित उनके इशारों पर गड्डमड्ड होने लगा। अखिलेश यादव मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने रामबहादुर के पौत्र रणविजय सिंह को एमएलसी बनाकर इस घराने की राजनीतिक शक्ति में और इजाफा कर दिया। लेकिन अब अचानक रामबहादुर सिंह द्वारा मुलायम-अखिलेश से 30 साल पुराना नाता तोड़कर भाजपा का दामन थामने से राजनीतिक हल्कों में इसकी वजहें तलाशी जा रही हैं।

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