गोंडा जिला महिला चिकित्सालय बना भ्रष्टाचार का केंद्र

 गोंडा जिला महिला चिकित्सालय बना भ्रस्टाचार का केंद्र

जिला महिला चिकित्सालय गोंडा में अक्सर मरीजों से धन उगाही का मामला प्रकाश में आता रहा है.

डॉक्टर की गैर मौजूदगी में स्टाफ नर्स गिरिजा यादव ने नियम के विरुद्ध जाकर बिना डयूटी डॉक्टर को बताए लेबर रूम की जगह इमरजेंसी में खुद प्रसव करने लगी.

दिनांक 01 सितंबर 2020 को स्टाफ नर्स गिरिजा यादव द्वारा इमरजेंसी में ही मरीज का प्रसव गैर जिम्मेदाराना ढंग से कराने का मामला सामने आया है।

1 सितम्बर 2020 को दोपहर 2:20 pm को मरीज तूलिका को इमरजेंसी  में ही भर्ती किया गया,

जबकि मरीज को लेबर रूम में भर्ती करने का प्रावधान है।

भर्ती होने के 20 मिनट बाद मरीज का प्रसव  नर्स द्वारा ही शुरू कर दिया गया।

ये सब डॉक्टर की अनउपस्थिति में किया गया।

ड्यूटी डॉक्टर को इस मामले की कोई सूचना नही दी गयी। नर्स गिरिजा यादव द्वारा किया गया कृत्य निंदनिय है, बिना डॉक्टर के प्रसव करने की क्या मनसा थी??

दोपहर लगभग 3:30 पर मरीज की हालत बिगड़ने लगी, तब स्टाफ नर्स ने डॉक्टर माधुरी तिवारी को सूचित किया।

उसके बाद डॉक्टर माधुरी  ने तत्काल परीक्षण , मरीज की हालत गंभीर लगने पर डॉक्टर माधुरी ने अपने पति डॉक्टर अमित त्रिपाठी को तत्काल सूचित किया {डॉ अमित त्रिपाठी भी जिला महिला चिकित्सालय में चिकित्सक के पद पर कार्यरत हैं) डॉक्टर ने मरीज की हालत को देखते हुए KGMC लखनऊ रेफर करने की सलाह दी, इस पर  स्टाफ नर्स गिरिजा यादव ने  रेफर  कागज नही दिया, और उल्टा चिकित्सक दम्पत्ति को धमकी देने लगी और अभद्रता करने लगी। और डॉक्टर ने जब नर्स गिरिजा से पूछा कि तुमने ऑन ड्यूटी डॉक्टर को क्यों नही बताया तो डॉक्टर दम्पत्ती को देख लेने और फ़र्ज़ी मामलों में फ़साने की धमकी देने लगी। डॉक्टर दम्पत्ति से इस प्रकार की अभद्रता निंदनिय है।

यहां तो यही कहावत हो गयी उल्टा चोर कोतवाल को डांते।

खैर इसी आनन फानन में मरीज के तीमारदार अपने मरीज को अपने वाहन से अन्य किसी प्राइवेट अस्पताल ले गए।

जबकि सरकार द्वारा निशुल्क इलाज व प्रसव के दावा किया जाता है, तो फिर मरीज़ों को बिना एम्बुलेंस के प्राइवेट अस्पतालों में जाने के लिए  क्यों विवस होना पड़ता है।

यह विषय घोर निन्दनीय है।

आखिर कब तक गोंडा जिला महिला चिकित्सालय भ्रस्टाचार व  बेइमानी का गढ़ बना रहेगा।

अभी कुछ ही दिन पहले भी पैसे लेके पेशेंट को एडमिट करवाने व बाहर से cbc जैसी जांच बाहर से व मरीज़ को परेशान करने का खुलासा हुआ था जो कि मैंने ही किया था।

डॉक्टर दम्पत्ति बहुत ही सरल व सीधे हैं और मैंने जो सर्वे किया उसमे डॉ अमित व डॉ माधुरी त्रिपाठी बहुत ही ईमानदार और सरल स्वभाव के है।

अंतः CMS A.P. Mishra जी ने भी इस कथन को सत्यापित किया और डॉ दम्पत्ति को  उनके ईमानदारी की सजा मिल रही है।

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