भगत सिंह की जयंती पर माल्यार्पण करके किया गया पौधारोपण

 भगत सिंह की जयंती पर माल्यार्पण करके  किया गया पौधारोपण 

टीम गोण्डा जागरण daily News

गोण्डा  : भगत सिंह की जयंती पर आज विश्वास फाउंडेशन के द्वारा एक सभा का आयोजन किया गया जिसमें सैकड़ो लोगो ने श्रद्धासुमन अर्पित किया । विश्वास फाउंडेशन, युवा सोच, तिरंगा फाउंडेशन, परसपुर विकास मंच द्वारा भगत सिंह जी की 127 वीं जयंती पर शहीदे आजम भगत सिंह इंटर कॉलेज में स्थित उनकी प्रतिमा की साफ सफाई कर माल्यार्पण किया गया! इस अवसर पर बंटी श्रीवास्तव ने बताया कि 28 सितंबर 1907 को पंजाब के एक गांव में जन्म लेकर भगत सिंह ने भारत के इतिहास को बदलने का काम किया था और आज भी लाखों करोड़ों युवाओं के हीरो भगत सिंह जी ही हैं हम सभी को भगत सिंह जी के द्वारा दिखाए गए रास्ते पर चलना चाहिए वही नेचर क्लब के अभिषेक दुबे ने बताया की भगत सिंह ने जिस आजाद भारत की कल्पना की थी उस प्रकार की आजादी भारत देश को नहीं मिली आज भी भगत सिंह के विचारों का भारत कहीं ना कहीं गुलाम है व रे ऑफ साइंस के राजेश मिश्रा ने बताया कि मात्र 23 साल की उम्र में भगत सिंह जी ने फांसी के फंदे को चूम कर देश को आजादी दिलाई थी लेकिन आज के युवा 23 साल की उम्र में पब्जी और फेसबुक में बिजी रहते हैं ।  


 छात्रनेता अविनाश सिंह व कवि मनीष सिंह ने कहा कि कि भगत सिंह आजादी के लिए अपनी जान देने वाले नौजवान शहीदों में अग्रणी थे हंसते हुए फंदे को अपने गले में डालने के कारण ही भगत सिंह को शहीद-ए-आजम का दर्जा दिया गया। हम सभी लोगों को उनके आदर्शों पर चलना चाहिए । शोएब अख्तर व रवि राज ने कहा कि कि शहीद भगत सिंह न केवल भारत के अपितु विश्व के एक ऐसे महान क्रांतिकारी थे जिन्होंने अपने जीवन, दर्शन व विचारों से युवाओं में जोश भरने व प्रेरणा पैदा करने का काम किया। उन्होंने भारत की आजादी के लिए अपने साथियों के साथ मिल कर इंकलाबी योजना बनाई और इसे लागू करने के लिये अपने जीवन का बलिदान किया। अपने जीवन के कुल 23 वर्षों में उन्होंने पूरी दुनिया को झकझोर दिया। उन्होंने एक जातिविहीन, वर्गविहीन व भेदभाव मुक्त भारत और दुनिया का ख्वाब देखा था। उस समय जेल के यातनापूर्ण जीवन के बावजूद भगत सिंह ने खूब सारा साहित्य पढा और अपनी लेखनी से हमारे लिए विचारों की विरासत छोड़कर गए। भगत सिंह ने अछूत समस्या, मजहबी कट्टरता, मजदूरों की समस्या के बारे में लेख लिखे। भगत सिंह और उनके साथी देश को साम्राज्यवादी शोषण से आजाद कराने के लिए मात्र 23 साल की उम्र में हंसते हंसते फांसी के फंदे को चूम गए, लेकिन आज भी समाज में जाति, लिंग, धर्म व अमीरी गरीबी के आधार पर भेदभाव जारी है, इसलिए भगत सिंह के विचारों को लोगों में फैलाने की बेहद आवश्यकता है ।इस कार्यक्रम में प्रभात वर्मा, प्रतिभा सिंह, अंजलि पाठक, अरुण मिश्रा, अनिल सिंह, शोएब अख्तर, रहमान वारसी, प्रवीण सरोज व कई रोज मौजूद रहें !

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